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सुकून ज़िंदगी

मुसाफ़िर के रस्ते बदलते रहे  मुक़द्दर में चलना था चलते रहे  मेरे रास्तों में उजाला रह गया  उस की आँखों में जलते रहे  कोई फूल सा हाथ काँधे पे था  मिरे पाँव शो'लों पे जलते रहे  सुना है उन्हें भी हवा लग गई  हवाओं के जो रुख बदलते रहे  वो क्या था जिसे हमने ठुकरा दिया  मगर उम्र भर हाथ मलते रहे  मोहब्बत अदावत वफ़ा बे - रुख़ी  किराए के घर थे बदलते रहे  लिपट कर चराग़ों से वो सो गए  वो फूलों पे करवट बदलते रहे             .⭕⭕⭕⭕.           @dr.sandeep_singh

इश्क़ धोखेबाज

वही फिर मुझे याद आने लगे हैं  जिन्हें भूलने में ज़माने लगे हैं  सुना है हमें वो भुलाने लगे हैं  तो क्या हम उन्हें याद आने लगे हैं  हटाए थे जो राह से दोस्तों के  वो पत्थर मेरे घर में आने लगे हैं  ये कहना था उनसे मोहब्बत है  मुझको ये कहने में मुझको ज़माने लगे हैं  हवाएँ चलीं और न मौजें हो उठीं  अब ऐसे भी तूफ़ान आने लगे हैं  क़यामत यक़ीनन क़रीब आ गई है  "खुमार" अब तो मस्जिद में जाने लगे हैं                 .⭕⭕⭕⭕.             @dr.sandeep_singh

इश्क़बाज

जिस तरफ़ देखता हूँ बस तमाशा देखता हूँ  इश्क़ भी और तकरार भी बेतहाशा देखता हूँ । जख्मों के बस अब कुछ निशां ही रह गए है  पर अभी भी उस पे गंभीर निराशा देखता हूँ । झूठ की ही अब हो गई है नई सल्तनत  सच्चाई को छुपाये घना कुहासा देखता हूँ ।  खामोशियों पे मानो शामत सी आ गई है  विरोध का भी विरोध बेतहाशा देखता हूँ ।  आसां हो गया है ख़र्च करना एक जिंदगी  हर भाषा की एक नई परिभाषा देखता हूँ ।               .⭕⭕⭕⭕.           @dr.sandeep_singh

ज़िंदगी

हमने कुछ इस कदर अपनी जिंदगी बितायी है  लगाकर खुद को आग खुद ही बुझायी है।  जेल में मुझसे मिलने तक कोई नही आता  लगता है मेरी अब पूरे शहर से लड़ायी है।  ये काली सलाखें मुझे आज चुभ रही है  आज फिर मुझे मेरी माँ की याद आयी है।  एक शक्श था जो मेरे दिल के करीब था  मगर मेरे दिल में रहती बस अब तन्हायी है।  जेल का चौकीदार मेरे बताते बताते रो पड़ा  सुन कोर्ट ने तुझे फाँसी की सजा सुनायी है।                  .⭕⭕⭕⭕.             @dr.sandeep_singh