सुकून ज़िंदगी
मुसाफ़िर के रस्ते बदलते रहे मुक़द्दर में चलना था चलते रहे मेरे रास्तों में उजाला रह गया उस की आँखों में जलते रहे कोई फूल सा हाथ काँधे पे था मिरे पाँव शो'लों पे जलते रहे सुना है उन्हें भी हवा लग गई हवाओं के जो रुख बदलते रहे वो क्या था जिसे हमने ठुकरा दिया मगर उम्र भर हाथ मलते रहे मोहब्बत अदावत वफ़ा बे - रुख़ी किराए के घर थे बदलते रहे लिपट कर चराग़ों से वो सो गए वो फूलों पे करवट बदलते रहे .⭕⭕⭕⭕. @dr.sandeep_singh